Thursday, March 26, 2020

कोरोना का क़हर


कोरोना की दहशत और भारत यात्रा 
—अशोक ओझा  

भारत के लिए उड़ान भरने वाले विमान धीरे धीरे भर रहा था।  सैकड़ों लोग एक विमान में बंद रहेंगे 15 घंटे तक! यह विचार मन में आते ही घबराहट हुई। फिर अपने आप को समझाया: विमान कंपनी ने ज़रूर कुछ सोचा होगा और थोड़ी देर में यात्रियों को कोरोना वायरस के प्रति सचेत करने के उदघोषणा ज़रूर होगी । लेकिन विमान के उड़ान भरने के  बाद भी कोई जानकारी नहीं  दी गयी। नेवार्क, न्यू जर्सी एयरपोर्ट पर पहुँचने के पूर्व कोरोना के तेज़ी से हो रहे विस्तार के बारे में समाचार पत्रों न्यूज़ चैनल और  सोशल मीडिया के जरिए जानकारी प्राप्त हो रही थी।1 मार्च, 2020 को मैं नेवार्क, न्यू जर्सी से यूनाइटेड की सीधी विमान सेवा से भारत की यात्रा कर रहा था। कनाडा, ग्रीनलैंड, यूरोप के उत्तरी भाग, मध्य एशिया, अफगानिस्तान, पाकिस्तान के ऊपर उड़ते हुए विमान लगभग 15 घंटे में दिल्ली पहुँचने वाला था। विमान में प्रवेश के पूर्व सुरक्षा अधिकारीयों की अनुमति से सेनिटाइज़र की छोटी बोतल जेब में रख ली थी। विमान में मेरी सीट पैतालीसवीं पंक्ति में थी। अधिकांश सीटें भर गयी थीं। अपनी सीट पर बैठने के बाद इधर उधर नज़र डाली-अधिकांश चेहरे अपनी भारतीय पहचान बता रहे थे। कुछ गैर भारतीय भी लग रहे थे। विमान में अधिकांश सीटों पर लोग बैठ चुके थे। इस बात से कोई परेशानी किसी के चेहरे पर नहीं दिखी। कुछ लोगों ने चेहरे पर मास्क, यानी, कपड़े का मुखौटा पहन रखा था। सोचा, अपनी सीट को सेनिटाइज़र से पोंछ लूँ। विमान के पिछवाड़े में एयर होस्टेस खान-पान की तैयारी में जुटी थी। उसका ध्यानबाँटने की कोशिश करते हुए ऊँची आवाज़ में पूछा: क्या सैनिटाइज़र नैपकिन मिल सकता है? एयर होस्टेस ने जैसे मेरी बात ही न सुनी हो! खैर, दुबारा पूछना निरर्थक जान पड़ा। पराजित सा अपनी जगह पर लौट आया। क्या यूनाइटेड विमान कंपनी यात्रियों को डराना नहीं चाहती थी या उसने कोरोना वायरस से यात्रियों को सुझाव देना अपना कर्तव्य नहीं समझा!
थोड़ी देर में विमान हवा में तैर रहा था। विमान परिचारिका ने सार्वजानिक घोषणा करते हुए सूचित किया कि भारत पहुँचते हुए दो बार भोजन और एक बार नाश्ता परोसा जाएगा। अच्छा लगा कि ये उदघोषणाएँ अंग्रेजीके साथ साथ हिंदी में भी हो रही थीं। भोजन और पेय परोसे जाने तक कोरोना वायरस से बचाव के बारे में यात्रियों को किसी किस्म का निर्देश या सलाह विमान कर्मचारियों की सार्वजनिक घोषणा सूची में शामिल नहीं था।  कम से कम यात्रियों को इतना तो याद दिला देते कि खांसते या छींकते समय अपना मुँह ढक लें। विमान परिचारिकाओं ने यात्रियों को यह भी नहीं याद दिलाया कि खाने के पूर्व अपने हाथ अच्छी तरह धो लें। क्या यूनाइटेड विमान कंपनी यात्रियों को डराना नहीं चाहती थी या उसने कोरोना वायरस से यात्रियों को सुझाव देना अपना कर्तव्य नहीं समझा! खैर, जर्सी सिटी के जाने माने शाकाहारी भारतीय भोजनालय राजभोग द्वारा विमान यात्रियों के लिए विशेष तौर पर पकाये गए भोजन, नाश्ते का स्वाद लेते हुए , 'गली ब्वाय' और हॉलीवुड की एकाध फ़िल्में देखते हुए, वायरस के आक्रमण को भगवान भरोसे छोड़ कर 15 घंटे बिताए जिसके बाद विमान दिल्ली के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा। विमान से बाहर निकलते ही मोटर चालित वाहन के चालक ने बैठने के संकेत दिया। कुछ ही मिनटों में मैं  आप्रवासन दरवाज़े के पास खड़ा था। वहां विदेशी भारतीय नागरिकों के लिए अलग प्रवेश द्वार बना दिए गए हैं। आप्रवासन अधिकारी के पास मिनटों में पहुँच गया, अपना पासपोर्ट  और ओवरसीज सिटीजन्स ऑफ़ इंडिया पंजीकरण दस्तावेज जांच के लिए उसके सुपुर्द की। विनम्र अधिकारी ने दस्तावेजों की जांच की और मुझे सामान लेने की दिशा में स्वचालित पट्टियों की तरफ जाने का संकेत दिया। सब कुछ बिना किसी परेशानी के हो गया। बोर्ड पर देखा कुआलालम्पुर (मलयेशिया), कुवैत, ईरान से आने वाली यात्री भी उसी बेल्ट नंबर 8 से अपना सामान उठाने वाले थे। माथा ठनका, इन्हीं देशों में कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले सामने आये हैं। खैर, लोगों से दूरी बनाने की कोशिश करते हुए, बेल्ट पर नज़र गड़ाए हुए अपनेसूटकेस के आने की प्रतीक्षा करने लगा। थोड़ी देर में देखा मेरा सूटकेस मेरी और चला आ रहा था।  उसे यात्रियों के लिए उपलब्ध ट्राली (जिसे अमेरिका में कार्ट कहते हैं)  पर रखा और विमान स्थल के निकास की तरफ चल पड़ा। किसी ने कुछ नहीं पूछा। थोड़ी देर में मैं विमान स्थल इमारत के बाहर टैक्सी की प्रतीक्षा कर रहा था।  दिल्ली के कनाट प्लेस जैसे इलाके में में जन जीवन सामान्य रूप से चल रहा था, लेकिन एक सप्ताह  पहले  हुए सांप्रदायिक दंगे की  गूंज अभी भी सुनाई  पड़ रही थी। कुछ ही दिन पूर्व संपन्न हुए प्रदेश चुनाव में आम आदमी पार्टी भारी बहुमत से विजय हासिल कर चुकी थी और अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली सरकार कार्य भार संभाल चुकी थी। सामान्य लोग अपने दैनिक कार्यों में व्यस्त होने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन तभी कोरोना ने दस्तक भी दे दी। जनपथ पर पर्यटकों की भीड़ नहीं थी। मेरे जैसे कुछ ग्राहक गणेश, बुद्ध, शिव जैसे लोकप्रिय देवी देवताओं की कांस्य की नन्हीं मूर्तियां, शाल , दुपट्टे, कृत्रिम जेवर आदि मित्रों, परिचितों को उपहार में देने के लिए खरीद रहे थे। महंगे रेस्तरां के बाहर दरवान ग्राहकों का स्वागत करने में व्यस्त थे। दोपहर का भोजन करने मैं पंजाब ग्रिल नामक रेस्तरां में पहुंचा। एक कर्मचारी से पूछा क्या रेस्तरां की शाखा वाशिंगटन डी सी में भी है? कर्मचारी ने मेरी जानकारी को सही बताया। पिछली सर्दियों में जब एक सम्मेलन में शामिल होने जब अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डी सी में था, एक रात गूगल से पूछा कौन सा भारतीय भोजन परोसने वाला रेस्तरां नज़दीक में है? रेस्तरां की सूची के साथ उनका फ़ोन संपर्क देखा, अनेक रेस्तरां में फ़ोन लगाया, हर जगह आधे घंटे से अधिक की प्रतीक्षा! सिर्फ 'पंजाब ग्रिल' नमक रेस्तरां से तुरंत आने का बुलावा प्राप्त हुआ।लेकिन वहां पहुंचने पर देखा पूरा रेस्तरां लगभग भर गया था।  फिर भी , हमें बैठने की जगह मिल गयी थी, भोजन भी स्वादिष्ट था। नई  दिल्ली के 'पंजाब ग्रिल' में भी भोजन स्वादिष्ट होना चाहिए। इसी उम्मीद से वहां गया था। अपेक्षा के विपरीत वेटरों ने मास्क नहीं पहना था।   ईश्वर को याद किया और खाने का आर्डर दे दिया। दिल्ली में घटनाक्रम कितनी तेज़ी से बदल रहा था। अगले दिन अख़बारों से मालूम हुआ कोरोना वायरस के पाँव पसार रहा है-इटली से लौटे यात्रियों का समूह आगरा, जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर का भ्रमण कर दिल्ली आ चुका था।  जयपुर में जांच के बाद एक महिला वायरस से संक्रमित पायी गयी। खोज शुरू हुई कि उसका संपर्क कहाँ और  कितने लोगों से होचुका था। संक्रमित लोग आगरा और दिल्ली के होटलों में  पार्टी  कर चुके थे। होटल कर्मचारियों  को घर में रहने के आदेश जारी किये गए। दिल्ली के नोएडा, हैदराबाद, केरल आदि स्थानों पर संक्रमित लोग पाए गए।मेरी भारत यात्रा का मुख्य उद्देश्य जोधपुर, जैसलमेर का दौरा कर वहां के जन-जीवन पर फोटो-वीडियोसामग्री एकत्र करना था। 5 मार्च को मैं विमान से  जोधपुर जाने वाला था। उस दिन सवेरे 10  बजे दिल्ली विमान स्थल  पहुंचना था।सुबह छह बजे बिस्तर से उठा तो मन में कुछ आशंका पैदा हुई। जैसे अंतर्मन से आवाज़ आई -जोधपुर यात्रा रद्द करो। मैंने इस आतंरिक निर्देश का पालन किया और यात्रा से जुड़े सभी आरक्षण रद्द किए।  भारत आकर शॉपिंग न करें, यह बड़ा अजीब लग रहा था। अपने परिचित टैक्सी चालक कवीन्द्र को फ़ोन कर बुलाया कि गाड़ी को सैनिटाइज़  कर मुझे लेने आ जाय, ताकि बाज़ार जा सकें। एक मास्क कवीन्द्र को दिया, और चल पड़े कनाट प्लेस की  तरफ! इधर अमेरिका में भी कोरोना वायरस के फ़ैलने की खबर आ रही थी। मेरी वापसी दो सप्ताह बाद थी। एयरलाइन्स की तरफ से सूचना जारी की गयी कि आरक्षण में बदलाव करने पर कोई शुल्क नहीं लगेगा। मैंने सोचा, इस सूचना के बाद अमेरिका से भारत आये काफी लोग अपनी यात्रा में परिवर्तन कर वापस लौटना चाहेंगे। कही ऐसा न हो कि वापसी टिकट बदलने में देर करने पर विमान में जगह ही न मिले। इसी  उहापोह के साथ यूनाइटेड एयरलाइन्स के दिल्ली कार्यालय में फ़ोन किया और पूछा कि क्या वापसी की  तारीख बदलने की गुंजाइश है? जवाब सकारात्मक मिला, एयरलाइन्स प्रबंधकों ने बिना शुल्क यात्रियों के टिकट बदलने की अनुमति ग्राहक सेवा को दे दी थी। मैंने निर्णय किया जल्द से जल्द वापस लौटना चाहिए, कारण हालत हर दिन बिगड़ रहे थे। मैंने एयरलाइन्स से अगले दिन यानी 6 मार्च का टिकट बाने के निर्देश दिया जिसके लिए 39 डॉलर का अतिरिक्त खर्च वहां करना पड़ा, जो कि यात्रा तिथि बदलने के कारण यात्रा शुल्क मेंबढ़ोत्तरी  के कारण भरना पड़ा।  मैंने राहत की सांस ली! टैक्सी में बैठे बैठे मास्क को ढीला किया और कवीन्द्र को बताया: यात्रा की तारीख बदल दी है।  कवीन्द्र की यह  समाचार उत्साह वर्द्धक नहीं लगा। उसने सिर्फ 'अच्छा' कह कर अपनी स्वीकृति दी और विमान के जाने का समय पूछा। अगले दिन 6 मार्च को वापसी की तैयारी थी। कनाटप्लेस के अपने  परिचित दर्ज़ी के यहाँ सूट बनवाने के लिए दिया था। उसने कहा, कम से काम ट्रायल तो कर के जाओ  ताकि सिलाई पूरी कर सकें। मैंने दिल्ली प्रवास के अंतिम दिन सिर्फ ट्रायल देने सुपर फ़ास्ट मेट्रो से द्वारका सेक्टर 21 से शिवजी स्टेडियम तक गया। 
सिर्फ चार स्टेशनों के बाद 20 मिनट की यात्रा के बाद कनाट प्लेस के निकट पहुँचाने का यह सबसे सुरक्षित परिवहन था। शिवजी स्टेडियम पर स्टेशन के बाहर निकलने के पूर्व दर्जनों देशों के वीसा आवेदन कार्यालयों के सामने से गुजरना पड़ता है। विदेशों में नौकरी के लिए जाने वाले भारतीय वीसा आवेदकों की भीड़ काम था, चीन के वीसा कार्यालय के बाहर तो बिलकुल नहीं। स्टेशन से बाहर निकल कर दर्ज़ी के यहाँ पहुंचा तो देखा वहां किसी कर्मचारी  ने  मास्क नहीं पहना था। दूकान मालिक से पूछने पर जवाब मिला: हाथ धोने के लिए पानी की व्यवस्था  है। उसने अपने कर्मचारियों के  लिए  साबुन की व्यवस्था भी नहीं की थी। इस दुकान में सूट वनवाने का खर्च 15 हज़ार रुपए से भी अधिक होता है।  शाम को अमेरिका के लिए विमान यात्रा के लिए अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पहुंचा। दिल्ली विमान स्थल पर अमेरिका जाने  वाले विमान यात्रियों की दोहरी सुरक्षा जांच होती है। सबसे पहले 'चेक इन' के बाद भारतीय सुरक्षा कर्मियों द्वारा स्वचालित मशीन से जांच होती है, बाद में विमान में सवार होने के पूर्व विमान कम्पनी के सुरक्षा कर्मी दूसरी बार यात्रियों और  उनके  सामान की जांच करते हैं। दूसरी बार की जांच के बाद आप  सिर्फ विमान की तरफ ही जा सकते हैं। यह जांच प्रक्रियाअमेरिका के होम लैंड सिक्योरिटी विभाग के नियमों के तहत 9-11 की घटना के बाद लागू की  गई ! लेकिन 6 मार्च को कोरोना वायरस बचाव से सम्बंधित कोई उपाय नई दिल्ली से नेवार्क जाने वाले यात्रियों को नहीं बताये गए। विमान में सवार होने के बाद भी, न तो सैनिटाइज़र न ही  मास्क, कुछ नहीं दिया गया। 15 घंटे तक विमान के अंदर एक साथ सैकड़ों यात्री साथ रहे। विमान 7 मार्च की सुबह 5 बजे नेवार्क, न्यू जर्सी पहुंचा। लेकिन विमान से बाहर निकल कर कस्टम जांच तक जाते हुए किसी ने न तो स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई प्रश्न पूछे, न ही किसी का बुखार चेक किया। मेरे आगे लगभग एक दर्ज़न छात्र, हँसते हुए कोरोना का मजाक उड़ाते हुए इस चर्चा में लीन थे कि जयपुर के आमेर महल में हाथी की सवारी कितनी मज़ेदार थी। विमान स्थल से बाहर  निकल कर मैंने रुमाल से मास्क बनाया, मुँह ढंका और टैक्सी में सवार होकर एडिसन शहर स्थित अपने घर पहुंचा। घर में प्रवेश करते ही पहला कार्य यह किया कि कोरेक्स से सभी सामान पोंछे, जजूतों को पोंछ कर दरवाज़े के पास रखा, जो भी पहना था, सब उतरा, कपड़ा धोने की मशीन के हवाले किया, और बाथरूम की तरफ रवाना हुआ स्नान करने के लिए। उस दिन से 15 दिनों के लिए अपने आप को सामजिक गतिविधियों से दूर रखने का भरसक प्रयास किया है। भारत से मेरी वापसी के बाद दिन-ब-दिन हालात बिगड़ते जा रहे हैं। दुनिया के अधिकांश देशों में कोरोना की दहशत है। अमेरिका में आपात काल घोषित किया  जा चुका  है। पिछले एक माह से हालत तेज़ी से बिगड़े हैं।इटली का हाल सुनकर दिल दहल जाता है। न्यू यार्क प्रदेश और शहर में संक्रमित लोगों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है। न्यू यॉर्क मेयर डी ब्लासियो का कहना है कि अगले दो माह तक संक्रमण बढ़ता ही जायेगा। अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवा कर्मियों के पास पर्याप्त सुरक्षा साधन नहीं हैं। ऐसे में हम सब यथा संभव अपनी सुरक्षा स्वयं कर सकते हैं। न्यू जर्सी सहित अमेरिका के अनेक प्रदेशों में को पूरी तरह लॉक डाउन किया जाचुका  है। इन प्रदेशों के सभी निवासियों को घर के अंदर रहने के निर्देश दिए गए हैं। 
दहशत की इस घड़ी में मैंने एहतियाती कदम उठाये हैं। सबेरे उठ कर सबसे पहले हाथ-मुँह धोता हूँ । यानी साबुन से हथेली, उँगलियों को  20 सेकंड तक रगड़ना, फिर दोनों हाथों को नल के नीचे गरम पानी से धोना, फिर नैपकिन से-जिसे कपड़ा धोने की मशीन में साफ़ किया था-पोंछना, रात के पहने कपड़ों को निकाल कर सीधे धोने की मशीन में डालना, कल के धुले कपडे पहनना, फिर क्लोरेक्स सेनिटाइज़र से रसोई घर और लिविंग रूम के उन स्थानों को पोछना जहाँ पूरे दिन बैठता हूँ। खिड़की, दरवाजे के  हैंडल, चिटखनी आदि को सेनिटाइज़र से पोंछने के बाद ही चाय की पतीली गैस पर रखता हूँ। चाय पान के बाद अपने कार्यालय में जिन वस्तुओं का  इस्तेमाल करता हूँ-जैसे कुर्सी, मेज, कंप्यूटर, पेन, नोटपैड-इन सबको सेनिटाइज़र से पोंछ कर ही उनका उपयोग करता हूँ । लिखने-पढ़ने से मन ऊब जाने पर नजदीक के पार्क में गया था। पार्क विभाग के कर्मचारियों ने बाथरूम बंद कर रखा है। बैठने के लिए जगह जगह रखे बेंच पार्किंग क्षेत्र से हटा दिए गए हैं। आप नगरपालिका या काउंटी के पार्क में घूम तो सकते हैं, लेकिन खेल-कूद उपकरणों और संसाधनों को बंद कर दिया गया है।कार में बैठने के पूर्व स्टीरिंग, दरवाज़े, सीट ओर जहाँ भी हाथ पहुँचता है, उन्हें सैनिटायज़ कर लिया है।
सड़कों पर गाड़ियों की आवाजाही एकदम बंद है। दुकानों में दैनिक उपयोग की चीजें आउट ऑफ़ स्टॉक हो रही हैं। पानी के बोतलों  की राशनिंग हो रही हैं। शादी-विवाह जैसी गतिविधियाँ  दुखांतिकाओं में बदल रही हैं। न्यू जर्सी के फ्रीहोल्ड नगर में एक परिवार में शादी समारोह मातम में बदल गया --रात्रि-भोजन समारोह के बाद परिवार के चार लोग बीमार पड़ गए। उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया  गया। दो दिनों के भीतर दो सदस्य चल बसे, फिर परिवार की सबसे बड़ी सदस्य, जो कि वेंटिलेटर पर थी, वह भी चल बसी। उसे यह भी पता नहीं था कि उसके परिवार के दो सदस्य पहले ही स्वर्गवासी हो चुके हैं। 
पिछले दो दिनों में बेरोजगारी भत्ता का आवेदकों की संख्या लाखों में पहुँच गयी है। राष्ट्रपति ट्रम्प ने सभी अमेरिका वासियों को आर्थिक मदद देने की घोषणा की है। रेस्तरां और बार बंद होने से पूरे अमेरिका में लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं। समाज की लगभग समस्त गतिविधियां ठप्प हो गयी हैं। मानवीय गतिविधियों के बंद होने के कुछ ऐसे नतीजे सामने आ रहे हैं, जिन्हें देख-सुन कर कैसी प्रतिक्रिया होनी चाहिए? सड़कों पर गाड़ियां और आकाश में विमानों की उड़ान कम हो गयी है। इससे पर्यावरण प्रदूषण कम हो रहा है। वायुमंडल में कार्बन डाय ऑक्साइड की मात्रा काम हो रही है। 
  
-अशोक ओझा 
४, मेल्विल रोड, एडिसन, न्यू जर्सी, यू एस ए 
 tel: 732-318-9891

Thursday, January 17, 2019

लेखन-अभिव्यक्ति का सक्षम साधन

सन २०१४ के बाद एक लम्बा अंतराल बीत गया ।अनेक कार्यों में व्यस्त रहा जिनमें शिक्षण प्रमुख रहा ।सन २०१९ से इस ब्लॉग साइट को सक्रिय बनाना है । अपने कार्यों को संग्रहित करने का यह बेहतर मंच है ।

सेंटिनल द्वीप की सांस्कृतिक सुरक्षा


क्या भारत सेंटिनल द्वीप के सांस्कृतिक अस्तित्व की रक्षा करने में समर्थ  है? 
-अशोक ओझा
अमेरिकी धर्म प्रचारक जॉन एलन चाऊ की मौत कोई सामान्य घटना नहीं है। यह अमेरिका के ईसाई धर्म प्रचारकों और धर्मान्तरण के उद्देश्य से दूर दराज़ के देशों में ​जाने का हिम्मत रखने वाले के उस  सुनियोजित प्रयास की विफलता है, जिसके लिए वे सदियों से कार्य करते रहे हैं। इन सबके लिए भारी धनराशि बटोरी जाती है और दुनिया के ऐसे स्थान ढूंढें जाते हैं, जहाँ के लोग दूर दूर तक ईसाई धर्म से परिचित नहीं या जिनका धर्म परिवर्तित करना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है। जितना दुर्गम स्थान उतना ही प्रचारक के लिए चुनौती, लेकिन बढ़ी चुनौती झेलने वाले प्रचारकों की प्रतिष्ठा उनके समाज उतनी ही में बढ़ती है। इसीलिए नोर्थ  सेंटीनल द्वीप में जॉन एलन चाऊ की मौत को उसके समुदाय में, धर्म प्रचारकों के समाज में कुछ लोग 'शहादत' मानते हैं। इतिहास बताता है कि दक्षिण अमेरिका के दुर्गम देशों में कोलंबस के पीछे पीछे ईसाई धर्म प्रचारक गए, और ईसाई धर्म का प्रचार सदियों तक कुछ इस तरह किया कि पश्चिमी गोलार्द्ध में अनेक देशों की मूल प्रजातियाँ सदा के लिए समाप्त हो गयीं।उत्तरी अमेरिका में हज़ारों वर्षों पुरानी सुसंस्कृत इंडियन जातियाँ अपनी सांस्कृतिक धरोहरों के साथ विलुप्त हो गयीं। स्थानीय लोगों को 'सभ्यता' सिखाने के नाम पर ईसाई बनाया गया। सदियों तक चले इस अभियान में अनेक जातियां नष्ट हो गयीं, लेकिन धर्म प्रचारकों का अभियान समाप्त नहीं हुआ। इसीलिए आज भी वे गैर-ईसाइयों, आदिवासियों, और जन जातियों, वनजातियों को 'सभ्यता' सिखाने के लिए 'धर्मान्तरण' का शुभ कार्य करते रहते हैं। अब चीन का ही उदहारण लें। ये प्रचारक चीन में अपना मिशन सफल बनाने के लिए लम्बे समय से कार्यरत हैं,  लेकिन वहां की सरकार की सतर्कता से उन्हें अभी तक निराशा ही हाथ लगी है। लेकिन इसी निराशा को भविष्य में सफलता का रूप देने की लिए जॉन जैसे ईसाई मिशनरी, जिन्हें 'इवांजलिकल' कहा जाता है, चुनौतीपूर्ण मिशन पर जाने के लिए सर पर कफ़न बाँध कर भी तैयार हो जाते हैं जैसे किसी युद्ध में जा रहे हों। 
जॉन जैसे मिशनरी अपने कार्यों से अपने समाज की न केवल प्रतिष्ठा बढ़ाते हैं, बल्कि बाइबिल में अंकित 'ग्रेट कमीशन' का अक्षरशः पालन भी करते हैं। 'ग्रेट कमीशन' के अंतर्गत ईसा मसीह हर ईसाई धर्मावलम्बी से अपील करते हैं कि अपने धर्म के प्रचार के लिए आगे आओ और सुसमाचार ('गॉस्पेल') का प्रचार करो। 'ओ, 'ग्रेट कमीशन' के पालनहार, तुम जहाँ भी जाओ, चाहे वह तुम्हारा पड़ोस हो, या गैर मुल्क हो, उन अभागे लोगों से मिलो जिन्हें ईसा मसीह के सुसमाचार ('गॉस्पेल') का ज्ञान नहीं। ईसा मसीह के अनुयायियों! अपने हर छोटे बड़े कदमों से समस्त देशों में ईसा मसीह के भक्त तैयार करो!'  
​'ग्रेट कमीशन' की तैयारी के लिए जॉन एलेन चाऊ को सघन प्रशिक्षण दिया गया। न्यू यॉर्क टाइम्स के अनुसार उसे केंसास प्रदेश के किसी ग्रामीण इलाके में आँखों पर पट्टी बाँध कर ले जाया गया, जहाँ उसे अंग्रेज़ी न समझने वाले लोगों का नाटक करने वाले धर्म प्रचारकों के बीच ईसाइयत का प्रचार करना था। ये लोग वैसे ही थे जैसे नार्थ सेंटिनल के वासी-आक्रामक मुद्रा हाथ में आदिम किस्म के भाले-तीर लिए द्वीप वासियों से घिरा था जॉन, सुसमाचार देने के लिए। उसकी कर्मठता, उसक जूनून उसे इस बात के लायक बना रही थी  कि वह अंडमान से ३५ मिल दूर स्थित 'नार्थ सेंटिनल' द्वीप ज़रूर जाए और जो कार्य तीन सौ साल में मिशनरी ना कर पाए, उसे कर गुज़ारे। अंडमान का नोर्थ  सेंटिनेल द्वीप एक प्रतिबंधित इलाक़ा है जहाँ भारतीय भी नहीं जा सकते । इनसे किसी को भी संपर्क करने की इजाज़त नहीं है और उन्हें 'अनकॉन्टैक्टेड ट्राइब्स' भी कहा जाता है ।
​इस प्रकार भारत के लिए जो इलाका, जहाँ की आबादी  पूरी तरह से बाहरी दुनिया से कटी हुई है, ऐसी सांस्कृतिक धरोहर पर विदेशी धर्म प्रचारक का आक्रमण यह संकेत देता है कि वह धरोहर खतरे में हैं। सेंटिनल जनजाति के लोगों की संख्या मात्र 50 से 150 के क़रीब ही रह गई है । वहां के निवासी ठण्ड जैसी बाहरी बीमारी से भी अपनी रक्षा कर पाने में सक्षम नहीं, उन लोगों की सुरक्षा के लिए भारत सरकार के पास योजना है? यदि नार्थ सेंटिनल पर आने जाने वालों के बारे में भारतीय नौ सेना या तट-रक्षक दल खोज खबर रख पाने में असमर्थ है, उसे अपनी कमजोरी न देख कर मछुआरों को, जिन्होंने जॉन एलिन को अवैध रूप से द्वीप तक पहुंचाया था, पकड़ना सही मानते हों तो वे उन पचास-सौ लोगों की  हज़ारों वर्ष पुरानी संस्कृति की रक्षा कैसे कर पाएंगे? 
​नार्थ सेंटिनल द्वीप से ​जॉन एलन चाऊ​ का शव उठा लाना संभव न हो पाया है, लेकिन जॉन ने अन्य प्रचारकों को सन्देश जरूर दे दिया है। मिशनरी अपने लक्ष्य पर पहुँचने की बार बार कोशिश करते हैं, तब तक कोशिश करते रहेंगे, जब तक उसमें सफल न हो जाएँ। जॉन अपने समाज में ईसा मसीह​ की सेवा करते करते 'शहीद' हो चुका है।उसके माता पिता उसकी शहादत के प्रति शायद गौरव का अनुभव कर रहे होंगे। उन्होंने गिरफ्तार मछुआरों को मुक्त करने के मांग भी की है, और जॉन की मौत के लिए किसी को दोषी नहीं मानते। जॉन के अनुयायी और भी होंगे, जो उसकी जमात को ​धन की कमी नहीं होने देंगे। वे इस मिशन को अपने जीवन का एकमात्र उद्देश्य भी बना सकते हैं।   
जॉन एलिन शाओ की मौत हो चुकी है, मगर उनके अवैध ढंग से सेंटिनल द्वीप पर जाने से सेंटिनेल जनजाति और उन जनजातियों के भी अस्तित्व पर ख़तरा मंडरा रहा है, जिनके संपर्क में वह ​आया था। ऐसा नहीं कि सभी ईसाई धर्म प्रचारक आक्रामक तरीके से धर्म प्रचार करना चाहता हैं।ऐसे धर्म प्रचारक भी हैं जो शांतिपूर्ण तरीकों से इन लोगों की सेवा करना चाहते हैं। भारत के करोड़ों लोग 'जेहोवा विटनेस' नमक धर्म प्रचारक संस्था के सदस्य हैं, ये लोग स्थानीय लोगों के रहन सहन में कोई दखल देना चाहते। वे चुपचाप ईसा मसीह के संदेशों का प्रचार करते रहते हैं। न्यू जर्सी के मिड्ल सेक्स काउंटी कॉलेज में मैं एक पूरा सेमेस्टर 'जेहोवा विटनेस' के सदस्यों को हिंदी पढ़ा चुका हूँ। मेरा अनुभव कहता है कि उनका पूरा उद्देश्य हिंदी सिखने पर था, धर्म प्रचार पर नहीं। 
लेकिन सोचना यह है कि इक्कीसवीं सदी में भारत के  जंगल और दूरदराज़  के इलाकों में रहने वाले लोगों को बाहरी धर्म प्रचारकों से कैसे बचाएं और उनकी रक्षा करें। हालां कि पश्चिमी धर्मावलंबी कहीं भी जाकर धर्म प्रचार करने में सक्षम है। उसने उत्तर पूर्व में नागालैंड  से लेकर मध्य भारत के आदिवासी इलाकों में ईसाइयत का प्रचार करने का सामर्थ्य दिखाया है। लेकिन धर्म प्रचार एक बात है और 'नार्थ सेंटिनल' जैसे इलाकों में चोरी छिपे आक्रमण की मुद्रा में प्रवेश करना एकदम अलग बात। अगर भारतीय पुलिस और सेना उन पर नज़र नहीं रख सकती तो पुरातत्व और विरासत के रखवालों के लिए प्रश्न पूछने का समय आ गया है। 
('नया ज्ञानोदय' के जनवरी २०१९ अंक में प्रकाशित)

Saturday, January 12, 2019

About Me

Ashok Ojha, 4 Melville Road, Edison, NJ 08817;
Email: aojha2008@gmail.com; Tel. (732)318-9891


Ashok Ojha is a New Jersey based journalist and teacher, where he manages two non-profit organizations, Yuva Hindi Sansthan and Hindi Sangam Foundation, both dedicated to promotion of Hindi language in USA and beyond. Well-versed in national standards and best practices in curriculum instruction appropriate for US schools, Ashok is a K-12 certified teacher for social studies.
He worked as a full time Hindi Journalist, script writer and documentary producer in India prior to his immigration to USA in 1996 where he was enrolled at New York University program in International Affairs. He continued to report and write on current affairs for publications and journals in USA and India. In January 2017 he produced and directed a series of short videos on Citizenship and Social Justice for New York University classroom video project.  
As the coordinator of the International Hindi Conference, USA, he collaborated with scholars from a number of leading universities, such as, NYU, Columbia, UPenn and others to organized three International Hindi Conferences in USA at NYU (2014), Rutgers (2015), the Consulate General of India, New York (2016). Ashok coordinated with GITAM University, Vishakhapatnam, Andhra Pradesh, India to organize the Fourth International Hindi Conference is underway (http://www.hindiconferenceamericas.com/).
Since 2010 Ashok has been awarded US government funding for directing STARTALK Hindi Programs. Trained as a Hindi teacher at 2009 UPenn STARTALK Teacher Program, he directed the STARTALK program for Kean University students (2010, 2011) followed by YHS STARTALK Hindi programs at Bensalem (2012), Hatfield (2013) and Harleysville, PA (2014-17). He won three STARTALK fundings for directing SANGAM-FRANKLIN STARTALK HINDI PROGRAM since 2016. This program is held at Franklin High School in collaboration with Franklin Township School District, New Jersey. In 2018 Ashok is preparing to direct two summer programs in Pennsylvania and New Jersey-YHS STARTALK HINDI PROGRAM starting June 18 to July 6, Pennbrook Middle School, North Wales, PA and SANGAM-FRANKLIN STARTALK HINDI PROGRAM from July 16 to August 2, 2018 at Franklin High School. He is also collaborating with the Consulate General of India, New York for holding the Fifth International Hindi Conference, September 21-23, 2018. The conference will be hosted by the Consulate General of India, New York. 
Ashok taught English as a foreign language in Yongan, Fujian, China in 2012. He has earned two bachelor degrees-one from NYU (2001), USA and the other from Magadh University, Bodh Gaya, India (1971).

My CV

Ashok Ojha  
4 MELVILLE ROAD, EDISON, NJ 08817 |  732-318-9891  |  aojha2008@gmail.com
PROFESSIONAL SUMMARY
NJ Certified Social Studies Teacher; Program Director, YHS and SANGAM-FRANKLIN STARTALK Hindi Language Programs; President-Yuva Hindi Sansthan, Hindi Sangam Foundation-Non-Profit Educational Organizations dedicatedto Hindi Teaching, www.yuvahindisansthan.org/; Coordinator, International Hindi Conference (2014-2017) , www.hindiconferenceamericas.com; Bachelor of Arts (Major Social Studies-NYU); Bachelor of Science, Magadh University; Diploma in Journalism (India).
PROFESSIONAL EXPERIENCE (TEACHING/MANAGEMENT)

Program Director -YHS STARTALK SUMMER HINDI PROGRAM, Pennbrook Midddle School, North Wales, PA
 Directed a 3-week summer program to teach Hindi to Elementary and Middle school students.
JUNE 19-JULY 6, 2018
Program Director-SANGAM-FRANKLIN STARTALK SUMMER HINDI PROGRAM, Franklin High School, Somerset, NJ
 Directed a 3-week summer program to teach Hindi to Middle and High school students.
JULY 16-AUGUST 2, 2018
Program Director-Sangam-Franklin STARTALK SUMMER HINDI PROGRAM, Franklin High School, Somerset, NJ
 Directed a 3-week summer program to teach Hindi to Middle and High school students.
JUNE 17  JULY 7, 2017
Program Director-YHS STARTALK SUMMER HINDI PROGRAM, Nash Elementary School, Harleysville, PA
 Directed a 3-week summer program to teach Hindi to Elementary and Middle school students.
JULY 24-AUGUST 11, 2017
Program Director-YHS STARTALK SUMMER HINDI PROGRAM
Nash Elementary School, Harleysville, PA
 Directed a 3-week summer program to teach Hindi to elementary and middle school students.

JULY 25-AUGUST 12, 2016
Program Director-Sangam-Franklin STARTALK SUMMER HINDI PROGRAM, Franklin High School, Somerset, NJ
 Directed a 3-week summer program to teach Hindi to Middle and High school students.
JUNE 20-JULY 8, 2016
Coordinator-International Hindi Conference, Consulate General of India, New York, NY, 
 Coordinated and managed academic sessions 
APRIL 30-MAY 2, 2016
Program Director-YHS STARTALK SUMMER HINDI PROGRAM, Nash Elementary School, 1560 Liberty Bell Dr, Harleysville, PA 19438
 Wrote grant proposal, trained teachers, developed curriculum and implemented 15-day summer program for Elementary/Middle school students 
JULY 27-AUGUST 14, 2015 
Program Director-YHS STARTALK SUMMER HINDI PROGRAM, Nash Elementary School, 1560 Liberty Bell Dr, Harleysville, PA 19438.        
 Wrote grant proposal, trained teachers, developed curriculum and implemented 15-day summer program for Elementary/Middle school students
JULY 21-AUGUST 8, 2014 
Coordinator, International Hindi Conference, Rutgers University, 
New Brunswick, NJ
 Coordinated and managed academic sessions 
APRIL 3-5, 2015
Substitute Teacher, PUBLIC SCHOOLS OF EDISON TOWNSHIP, 312 Pierson Ave, Edison, NJ 08837                                                                                                Implementing lesson plans for absentee teachers Gr. 6-12 
2005  PRESENT 
Coordinator, International Hindi Conference, New York University, 
New York, NY
 Coordinated and managed academic sessions 
MAY 2014
Program Director-YHS STARTALK SUMMER HINDI PROGRAM, Pennfield Middle School, 726 Forty Foot Rd, Hatfield, PA 19440                                            Wrote grant proposal, trained teachers, developed curriculum and implemented 10-day summer program for Elementary/Middle school students 
AUG 5-16, 2013 
Program Director-YHS BENSALEM STARTALK SUMMER HINDI PROGRAM, Bensalem High School, 4319 Hulmeville Rd, Bensalem, PA 19020 Bensalem, PA                                                                                        Wrote grant proposal, trained teachers, developed curriculum and implemented 10-day summer program for Elementary/Middle school students 
AUG 6-17, 2012 
Instructor, English as a Foreign Language-TEACH IN ASIA, ASIA INSTITUTE, CRANE HOUSE, 1244 S 3rd St, Louisville, KY 40203                    Taught English as Foreign Language at Yongan, Fujian, China 
JULY 7-29, 2012 
Adjunct Instructor-DEPARTMENT OF PROFESSIONAL AND COMMUNITY AFFAIRS, Middlesex County College, 2600 Woodbridge Ave, Edison, NJ 08818                                                                                                  Developed teaching material and taught semester long course, Basic Hindi for Professionals
SPRING 2012 
Program Director and Lead Instructor, Student Program;Consultant, Teacher Training Program-STARTALK SUMMER HINDI TEACHER AND STUDENT PROGRAM, School for Global Education and Innovation, Kean University, 1000 Morris Avenue, Union, NJ 07083                                                                               Developed curriculum, directed 15-day summer Hindi teaching and learning program 
JUNE 2011
Instructor-YHS STARTALK SUMMER HINDI PROGRAM, NEWARK, DE, Newark Technical and Community College, 400 Stanton Christiana Rd, Newark, DE 19713                                                                                                     Taught conversational Hindi using Five Cs and three modes of communication 
JULY-AUG. 2011 
Program Director and Lead Instructor-STARTALK SUMMER HINDI PROGRAM, School for Global Education and Innovation, Kean University, School for Global Education and Innovation, Kean University, 1000 Morris Avenue, Union, NJ 07083                                                                                                                     Wrote grant proposal, developed curriculum and lessons, directed 10-day summer program for Middle/High School students 
MAY 2010 
Administrator-YHS STARTALK SUMMER HINDI PROGRAM, Berkmar High School, 405 Pleasant Hill Rd, Lilburn, GA 30047                                 Supervised 10-day intensive language program for Middle/High School students 
JULY 2010 
JOURNALISM

Reporter-NEWS INDIA TIMES, Parikh Worldwide Media, 115 W 30th St #1206, New York, NY 10001                                                                           Reporting/writing on contemporary issues 
2012- 2013 
Customer Review Editor-BARNES & NOBLE.com, 122 Fifth Avenue New York, NY 10011                                                                                                                     Edited content-book reviews
2005  2008 
Customer Service Lead Representative-BARNES & NOBLE.Com, 100 Plaza Drive, Secaucus, NJ 07094                                                                                          Interacted with book purchasers, promoted books and products, trouble shot pricing, shipment, quality issues with customers 
2001  2005 
PROFESSIONAL DEVELOPMENT WORKSHOPS 

STARTALK-STANFORD LEADERSHIP PROGRAM-UNIVERSITY OF CALIFORNIA, SANTA BARBARA, CA                                                           
 Participated One Week STARTALK Workshop on Language Teaching
JULY 2017
Teachers Training Program-STARTALK@NYU TEACHERS TRAINING PROGRAM, NEW YORK UNIVERSITY, NY NY                  
 Worked as Instructors Group Leader-Developing classroom Teaching Material
JUNE 2016
Professional Development Workshop-STARTALK CRITICAL LANGUAGES PROGRAM DESIGN INSTITUTE, MINNEAPOLIS, MN, USA     Developed Teaching Plan for YHS Institute of Hindi Learning
OCTOBER 22-24, 2015
World Hindi Conference-MINISTRY OF EXTERNAL AFFAIRS, GOVT OF INDIA, BHOPAL, INDIA,                                                                        Presented paper on Hindi in USA 
SEPTEMBER 10-12, 2015 
International Hindi Conference-WORLD HINDI SECRETARIAT, MAURITIUS                                                                                                            Presented report on status of Hindi in USA 
OCTOBER 30-NoVEMBER 2, 2014
UNIVERSITY OF NEBRASKA,-LINCOLN, STARTALK Teachers Training Workshop-University of Nebraska-Lincoln, NE, USA                              Participated in Weeklong Teacher Training Program
JUNE 2015 
Heritage Language Teacher Training, STARTALK/NHLRC Teacher Workshop-University of California, LA, USA                                                         Participated in Weeklong Teacher Training Program
JUNE 2014 
Presenter, NHLRC Language Workshop-University of California, LA          Presented a paper on Challenges of Teaching Heritage Learners 
MARCH 2014
CENTER FOR APPLIED LINGUISTICS, STARTALK TEACHERS WORKSHOP, 4646 40th St NW #2, Washington, DC 20016                         Participated in Weeklong Teacher Training Program
JUNE 2013 
STARTALK Teacher Workshop-Classroads-A HADI Project                        Learned Online Teaching Tools
JAN-FEB 2013
EDUCATION

World and US History Teacher-KEAN UNIVERSITY, UNION, NJ
 K-12, Social Studies Teacher courses, NJ Dept. of Education Certificate of Eligibility 
FALL 2009
STARTALK Hindi Language Teacher Training-DEPARTMENT OF SOUTH ASIAN STUDIES, UNIVERSITY OF PENNSYLVANIA, PHILADELPHIA, PA                                                                                                Language pedagogy and best instructional practices in US classrooms 
JULY 2009 
Bachelor of Arts, International Affairs-SCHOOL OF CONTINUING AND PROFESSIONAL STUDIES, NEW YORK UNIVERSITY, NEW YORK, NY                                                                                                                    Graduated with Deans List of Honor for high scholastic achievement 
2002
Diploma in Hindi Journalism-BHARATIYA VIDYA BHAVAN, NEW DELHI, INDIA                                                                                                 Learned reporting, writing for Hindi newspapers
1972 
Bachelor of Science-MAGADH UNIVERSITY, Bodh Gaya, India               Graduated as Bachelor of Science 
1970

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